मैकॉले क्यों चाहता था ऐसे लोग बनाना जोकि रंग और खून से भारतीय हों जबकि विचारों और नैतिकता में ब्रिटिश
पश्चिमी शिक्षा को महत्व दिलाने की साजिश थी मैकॉले की शिक्षा पद्धति
National education policy भारत में व्हाइट कॉलर बाबू बनाने वाली अंग्रेजी शिक्षा पद्धति (Lord macaulay) थॉमस बैबिंग्टन मैकॉले की देन है। मैकॉले को ब्रिटेन का सुयोग्य शिक्षा शास्त्री, राजनीतिक और कुशल प्रशासक बताया गया। हालांकि उनकी भारतीय संस्कृति और साहित्य के प्रति सोच नकारात्मक थी और आज भारतीय स्कूलों में जो शिक्षा बच्चों को दी जाती है, उसकी नींव 1835 में मैकॉले ने अपने उस स्मरण पत्र के जरिए रखवाई थी, जिसमें ऐसी सिफारिशें की गई थी, जोकि (english language) अंग्रेजी भाषा और अंग्रेजी रहन-सहन को ही बढ़ावा देने वाली थी।
मैकॉले ने भारतीय ग्रंथों को बताया था अंधविश्वास
मैकॉले ने यहां तक कहा था कि क्या हम शासकीय पैसे से भारतीयों से उनके पुरातन व अंधविश्वासी ग्रंथों का अध्ययन करवाते रहें। ऐसे में यह सवाल अहम है कि क्या वास्तव में भारतीय पुरातन शिक्षा प्रणाली अंधविश्वास से भरी थी। हालांकि इस बात से कैसे इनकार किया जा सकता है कि विश्व का सबसे श्रेष्ठ साहित्य भारत में लिखा गया और जीवन मूल्यों को संजो कर आगे बढऩे की सीख देने वाली शिक्षा गुरुओं के आश्रय में ही मिलती थी। अंग्रेजी शिक्षा की वजह से मूल भारतीय शिक्षा प्रणाली का नुकसान हुआ, जिसकी सजा आज तक भुगती जा रही है।
अंग्रेजी को बताया था मुक्ति का वाहक
मैकॉले को भारत में अंग्रेजी भाषा और शिक्षा की नई पद्धति का जनक माना जाता है, लेकिन यह पद्धति भारतीय सरोकारों से कोसों दूर लेकिन अंग्रेजों की औपनिवेशिक नीति के बहुत नजदीक थी। मैकॉले का तर्क था कि पश्चिम में ज्ञान का विस्फोट हुआ है और जिसने बाकी देशों के तमाम ज्ञान को अप्रासंगिक कर दिया है। उनका मानना था कि पूरे विश्व को इस ज्ञान और सामाजिक मूल्यों को अपनाना होगा, उसी में उनकी मुक्ति है। इस ज्ञान का वाहक उन्होंने अंग्रेजी को बताया था। उनका कहना था कि अगर अंग्रेजी को सीख लिया गया तो फिर पूरे ज्ञानकोष की चाबी हाथ लग जाएगी।
गवर्नर बैंटिक ने बनाया था शिक्षा समिति का सभापति
मैकॉले ने 10 जून, 1834 को गवर्नर जनरल की काउंसिल के कानूनी सदस्य के रूप में कार्य करना प्रारम्भ किया था। उस समय के गवर्नर जनरल विलियम बैंटिक ने उन्हें लोक शिक्षा समिति का सभापति नियुक्त किया था, उनका भारत में कार्यकाल महज चार वर्ष रहा, लेकिन इन चार वर्षों में ही मैकॉले ने पूरी भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदल दिया।
उन्होंने 2 फरवरी, 1835 को अपना प्रसिद्ध स्मरण-पत्र गवर्नर जनरल की परिषद के समक्ष पेश किया था, जिसे गवर्नर विलियम बैंटिक ने स्वीकार करते हुए अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम, 1835 पारित किया। इसके बाद भारत में आधुनिक ब्रिटिश शिक्षा की नींव रख दी गई।
मैकॉले के विवरण पत्र के प्रमुख सुझाव
- इस स्मरण-पत्र में पाश्चात्य शिक्षा का समर्थन करते हुए यह प्रावधान किया गया कि, सरकार के सीमित संसाधनों का प्रयोग पश्चिमी विज्ञान तथा साहित्य के अंग्रेजी में अध्यापन के लिए किया जाए।
- सरकार स्कूल तथा कॉलेज स्तर पर शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी करे तथा इसके विकास के लिये कई प्राथमिक विद्यालयों के स्थान पर कुछ स्कूल तथा कॉलेज खोले जाएं।
- मैकाले ने इसके तहत ‘अधोगामी निस्पंदन का सिद्धांत’ दिया। जिसके तहत, भारत के उच्च तथा मध्यम वर्ग के एक छोटे से हिस्से को शिक्षित करना था। जिससे, एक ऐसा वर्ग तैयार हो, जो रंग और खून से भारतीय हो, लेकिन विचारों और नैतिकता में ब्रिटिश हो। यह वर्ग सरकार तथा आम जनता के मध्य एक कड़ी की तरह कार्य करे।
- मैकाले ने माना कि, अरबी और संस्कृत की तुलना में अंग्रेजी अधिक उपयोगी और व्यावहारिक है। जिस प्रकार लैटिन एवं यूनानी भाषाओं से इंग्लैंड में और पश्चिम यूरोप की भाषाओं के रूप में पुनरुत्थान हुआ, उसी प्रकार अंग्रेजी से भारत में होना चाहिए।
इन सुझावों से देश को हुआ यह नुकसान
- मैकाले ने अपने विवरण पत्र से अंग्रेजी द्वारा पाश्चात्य सभ्यता को इस देश पर थोपने का प्रयास किया, जिससे हम अपनी भारतीय सभ्यता और संस्कृति को तिरस्कृत दृष्टि से देखें और हमें हीन भावना व्याप्त हो।
- मैकाले ने भारतीय भाषाओं को अविकसित और बेकार बताते हुए अपमान किया, फलस्वरूप भारतीय भाषाओं का विकास रुक गया।
- मैकाले ने प्राच्य साहित्य की आलोचना करते हुए कहा था कि, भारतीय संस्कृति और साहित्य की क्षमता यूरोप की किसी एक पुस्तकालय की एक अलमारी के बराबर है। यह मानकर मैकाले ने भारतीय संस्कृति तथा धर्म की महानता व सहिष्णुता का अपमान किया है।
- मैकाले खुले तौर पर धार्मिक तटस्थता की नीति का दावा करते थे, लेकिन उसकी आंतरिक नीति का खुलासा वर्ष 1836 में अपने पिता को लिखे एक पत्र से होता है। जिसमें मैकाले ने लिखा है कि, मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि हमारी शिक्षा की यह नीति सफल हो जाती है तो 30 वर्ष के अंदर बंगाल के उच्च घराने में एक भी मूर्तिपूजक नहीं बचेगा।
भारतीय शिक्षा पर मैकॉले के सुझावों का यह पड़ा प्रभाव
- भारत में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल और महाविद्यालय खुलने शुरू हो गए। यह शिक्षा प्रणाली हमारे देश की मूल प्रणाली बन गई। आज भी हमारी शिक्षा इसी माध्यम पर आधारित है।
- अंग्रेजी को सरकारी कार्यों की भाषा घोषित कर दिया गया। मैकॉले ने अंग्रेजी भाषा के पक्ष में इतने ठोस सुझाव दिए थे कि, अंग्रेजी भाषा का महत्व बढ़ गया।
- सरकार ने एक आदेश पत्र जारी किया, जिसमें निर्देश दिया गया कि, सरकारी नौकरी में अंग्रेजी का ज्ञान रखने वालों को वरीयता दी जाएगी।
- मैकाले की नीति को जहां एक तरफ लाभकारी माना जाता है, वहीं इससे भारतीय भाषाओं के विकास पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
केंद्र सरकार जारी कर चुकी नई शिक्षा नीति
केंद्र सरकार ने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 202० आरंभ की है। इसके तहत अनेक बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति का मकसद देश को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। नई नीति के तहत अब मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100 फीसदी जी ई आर के साथ पूर्व विद्यालय से माध्यमिक विद्यालय तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जाएगा। पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था परंतु अब नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा।